हर कोई अपने मेहनत की कमाई को बैंक में जमा करता है ताकि वह सुरक्षित रहे। लेकिन कई बार यह सवाल मन में आता है कि अगर कभी बैंक डूब जाए या उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाए तो खाते में जमा पैसे का क्या होगा? इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार और आरबीआई ने नियम तय किए हैं, जिससे आप अपनी जमा पूंजी के लिए निश्चिंत रह सकते हैं। हाल के वर्षों में कुछ बैंक जैसे पीएमसी बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक और यस बैंक की स्थिति खराब हो गई थी, लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक ने स्थिति को संभाला और आपके पैसे को सुरक्षित रखा।
New Bank Rules By Government
बैंक के डूबने की स्थिति में खाताधारक को उसकी जमा राशि ‘डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन’ (DICGC) के तहत वापस मिलती है। भारत सरकार ने फरवरी 2020 के बाद नियम बदलकर बैंक डूबने पर 1 लाख रुपये की लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी है। इसका मतलब है कि अगर बैंक डूबता है तो प्रति खाताधारक, प्रति बैंक, सेविंग्स अकाउंट, एफडी, आरडी, करंट अकाउंट – सभी तरह की जमा मिलाकर आपको अधिकतम 5 लाख रुपये तक की राशि वापस मिल सकती है, भले ही आपके खाते में इससे ज्यादा पैसा जमा हो।
इस नियम का मकसद खाताधारकों को वित्तीय सुरक्षा देना है और जनता के भरोसे को बढ़ाना है। चाहे सरकारी बैंक हो, प्राइवेट बैंक या ग्रामीण बैंक – सारे कमर्शियल बैंक व को-परेटिव बैंक DICGC के दायरे में आते हैं। केवल सहकारी समितियाँ (Co-operative societies) इस बीमा के बाहर आती हैं।
कैसे मिलेगा पैसा और क्या है प्रक्रिया?
अगर किसी बैंक का वित्तीय संकट इतना बढ़ जाता है कि रिजर्व बैंक उसका लाइसेंस रद्द कर देता है, तब DICGC बीमा का क्लेम प्रोसेस एक्टिवेट हो जाता है। डिपॉजिट बीमा क्लेम की प्रक्रिया 90 दिन में पूरी होती है। पहले 45 दिन में बैंक DICGC को सभी खाताधारकों का विवरण भेजता है, उसके बाद 45 दिनों में पैसा आपके खाते में सीधे ट्रांसफर या पे-ऑर्डर के माध्यम से मिल जाता है।
अगर किसी के एक बैंक में कई ब्रांचों में खाते हैं, तब भी सभी खाते और जमा जोड़कर अधिकतम 5 लाख रुपये तक ही मिलेंगे। लेकिन यदि आपने अलग-अलग बैंकों में पैसे जमा किए हैं, तो हर बैंक से 5 लाख–5 लाख रुपये तक का दावा संभव है।
नीचे दी गई टेबल से पूरी जानकारी आसानी से समझिए:
विषय | विवरण |
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बीमा राशि सीमा | अधिकतम 5 लाख रुपये प्रति खाताधारक, प्रति बैंक |
लागू खाताधारक | सेविंग्स, एफडी, आरडी, करंट अकाउंट आदि सभी जमा खातों पर |
बीमा क्लेम की प्रक्रिया | 90 दिनों के भीतर भुगतान – बैंक डूबने/लाइसेंस रद्द होने के बाद |
कौन-कौन से बैंक | सरकारी, प्राइवेट, ग्रामीण, को-ऑपरेटिव बैंक (सहकारी समितियाँ बाहर) |
लागू होने की तारीख | नया नियम 4 फरवरी 2020 से लागू |
मुख्य बातें: कौन ले सकता है फायदा?
यह नियम सभी छोटे-बड़े खाताधारकों के लिए है। आपको किसी भी खाते या डिपॉजिट पर DICGC के लिए अलग से प्रीमियम नहीं देना होता। यह रकम बैंक अपनी तरफ से अदा करते हैं। एक खाताधारक के तौर पर आपको कोई फॉर्म भरने की जरूरत नहीं – DICGC का बीमा ऑटोमेटिक मान्य होता है। अगर एक ही नाम से एक बैंक की दो शाखाओं में अकाउंट हैं, तो दोनों को जोड़कर ही बीमा कवर मिलेगा।
क्या गारंटी की रकम बढ़ सकती है?
सरकार और वित्त मंत्रालय द्वारा डिपॉजिट बीमा कवर को 5 लाख से आगे बढ़ाने की दिशा में विचार भी चल रहा है। संभव है कि अगले कुछ महीनों में यह सीमा 10 लाख रुपये तक कर दी जाए ताकि खाताधारकों को और राहत मिल सके।
छोटे में समापन
सरकार एवं रिजर्व बैंक ने आपके बैंक बैलेंस की सुरक्षा के लिए डिपॉजिट बीमा कवर लागू किया है। अभी के नियमों के मुताबिक, अगर बैंक डूब जाता है तो अधिकतम 5 लाख रुपये तक की आपकी जमा राशि पूरी तरह सुरक्षित है और वह आपको 90 दिन में वापस मिल जाती है। आगे भविष्य में ये सीमा बढ़ने की भी संभावना है, जिससे खाताधारकों को और बड़ा फायदा मिलेगा.