Employees Salary Hike Breaking: ₹12000 तक बढ़ा वेतन, 2 नए एलान से मच गया धमाका

Published On: July 28, 2025
Employees Salary Hike

संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए वेतन और महंगाई भत्ते (DA) से जुड़ी हालिया खबरें कई राज्यों के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत और खुशी लेकर आई हैं। बीते वर्षों में संविदा और आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले कर्मचारियों ने वेतन में समानता, बढ़ोतरी और अन्य सरकारी सुविधाओं की लम्बे समय से मांग की थी। सरकार की ताजा घोषणाओं और उच्च न्यायालयों के कई फैसलों ने अब इन कर्मचारियों के भविष्य को भी सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दिया है। खासकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान जैसे राज्यों में संविदा कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी बढ़ाने, महंगाई भत्ते में इजाफा और स्थायीत्व को लेकर नए आदेश जारी किए जा चुके हैं।

सरकार का मानना है कि संविदा और आउटसोर्सिंग के जरिए न केवल रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि कामकाज की रफ्तार भी तेज हुई है। मगर स्थायीत्व ना होना, कम वेतन, अतिसीमित भत्ते और भविष्य की अनिश्चितता इन कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय रहा है। इसको देखते हुए हाल ही में कई राज्य सरकारों ने कर्मचारियों के वेतन और महंगाई भत्ते (DA) में बढ़ोतरी के आदेश जारी किए हैं।

Employees Salary Hike

सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, अब विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को न्यूनतम ₹18,000 मासिक वेतन मिलेगा। इससे पहले यह राशि 10,000-16,000 रुपए के आस-पास थी, जिससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं हो पाती थी। अब वेतन में यह बढ़ोतरी 1 जुलाई 2025 से लागू कर दी गई है, जिससे लगभग 11 लाख कर्मचारियों को सीधा लाभ पहुंचेगा। यह वेतन वृद्धि उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में लागू हो चुकी है, वहीं अन्य प्रदेश भी इसी तर्ज पर जल्द फैसला लेने वाले हैं

महंगाई भत्ता (DA) को लेकर भी सरकार ने बड़ी घोषणा की है। अब संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को भी 4% तक वृद्धि वाला महंगाई भत्ता मिलेगा। उत्तराखंड सरकार ने 1 मई 2025 से संविदा श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह बढ़ा हुआ DA लागू भी कर दिया है। कई जगह महंगाई भत्ता हर किलोमीटर, घंटे या दिन के हिसाब से भी मिल रहा है, खासकर परिवहन से जुड़े कर्मचारियों को। मैदानी चालकों को पहले 3.30 रुपए प्रति किलोमीटर महंगाई भत्ता मिलता था, जो अब बढ़कर 3.39 रुपए प्रति किलोमीटर हो चुका है।

इन आदेशों के अनुसार, सभी आउटसोर्सिंग एजेंसियों (जिनके जरिये कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं) को समय पर और बढ़ा हुआ वेतन कर्मचारियों के खातों में ट्रांसफर करना अनिवार्य किया गया है। सरकार ने निगरानी के लिए विशेष विभाग या निगम का भी गठन किया है, जिससे वेतन और भत्तों में पारदर्शिता बनी रहे

नियमितीकरण और स्थायीकरण की नई पहल

केवल वेतन और भत्ते ही नहीं, बल्कि संविदा कर्मचारियों को अब स्थायी सरकारी सेवा का भी मौका मिल सकता है। उच्चतम न्यायालय और विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों ने ऐसे कर्मचारियों के स्थायीत्व की नीति पर भी निर्णय दिए हैं। यदि कोई संविदा कर्मचारी पांच साल या ज्यादा समय तक संबंधित विभाग में सेवाएं दे रहा है और उसका रिकॉर्ड अच्छा है, तो उसे नियमित कर्मचारी की तरह वेतन, भत्ते, प्रमोशन और पेंशन सहित अन्य सुविधाएं देने का आदेश दिया गया है

इसके लिए सरकारें वरिष्ठता, सेवा की अवधि और अन्य तथ्यों की जांच करते हुए पात्र कर्मचारियों की सूची बनाती हैं। इन कर्मचारियों को कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद स्थायी नियुक्ति दी जाती है।

तुलना तालिका: नया और पुराना वेतन एवं भत्ता

श्रेणीपहले कितना थाअब कितना मिलेगा (न्यूनतम)
मासिक न्यूनतम वेतन (यूपी उदाहरण)₹10,000-₹16,000₹18,000-₹25,000
महंगाई भत्ता (DA)0-2%4% तक
मैदानी ड्राइवर महंगाई भत्ता (प्रति किमी)₹3.30₹3.39
स्थायीत्व/नियमितीकरण की सुविधानहींपात्रता अनुसार, लागू

योजना, लाभ और आवेदन प्रक्रिया

सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, संविदा व आउटसोर्स कर्मचारी अब स्थायी नियुक्ति के लिए भी आवेदन कर सकते हैं, यदि वे सभी शर्तें पूरी करते हैं। उन्हें अपनी सेवा अवधि, योग्यता और अनुभव को विभाग में प्रमाणित करना होगा। सरकार संबंधित विभाग की ओर से वरिष्ठता सूची व पात्रता की जांच करती है और उसके बाद कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति का आदेश जारी करती है।

सरकार की यह पहल न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा देती है, बल्कि सामाजिक स्थिति को भी बेहतर बनाती है। अब संविदा/आउटसोर्स कर्मचारी भी सरकारी कर्मचारी की तरह पेंशन, प्रमोशन, मेडिकल आदि की सुविधा पा सकते हैं, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित होगा।

संक्षिप्त जानकारी

संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन और महंगाई भत्ते में सरकारी बढ़ोतरी से लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों को राहत मिली है। यह आदेश 1 जुलाई 2025 से अधिकांश राज्यों में लागू हो गया है। साथ ही स्थायीत्व के मार्ग भी खुल गए हैं, जिससे अब इन कर्मचारियों का भविष्य कहीं अधिक सुरक्षित और उज्ज्वल बन सकेगा।

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