High Court Property Ruling: 2025 में आया फैसला, 2 लाइन में साफ हुआ 1 बड़ा हक

Published On: July 29, 2025
High Court Property Ruling

परिवार और संपत्ति को लेकर भारत में हमेशा चर्चा रहती है, खासकर तब जब उत्तराधिकार या संपत्ति बांटने का प्रश्न उठता है। समाज में कई बार यह भ्रम देखा जाता है कि शादी के बाद दामाद को अपने ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार मिल सकता है। ये सवाल हाल ही में एक हाईकोर्ट के अहम फैसले के बाद फिर चर्चा में आ गया। लोगों के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि क्या दामाद भी ससुर की प्रॉपर्टी में सीधे तौर पर अपना हिस्सा मांग सकता है या नहीं।

अक्सर देखा गया है कि परिवारों में संपत्ति को लेकर रिश्तों में खटास आ जाती है। बहुत से लोग यह मान बैठते हैं कि जिस तरह बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार है, उसी तरह दामाद को भी हक मिलना चाहिए। इस तरह के भ्रम और गलतफहमी को दूर करने के लिए हाईकोर्ट का हालिया फैसला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है। इस फैसले से समानता, अधिकार और उत्तराधिकार की पूरी तस्वीर सभी के सामने साफ हो गई है।

HC Decision On Property Rights

हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में एकदम स्पष्ट कर दिया है कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर कोई स्वतः या जन्मसिद्ध कानूनी अधिकार नहीं होता। यह फैसला उन सभी दामादों के लिए नजीर हैं, जो सोचते हैं कि शादी के बाद वे ससुर की संपत्ति के हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि दामाद चाहे इकलौता हो या कई सालों से ससुराल में रह रहा हो, विवाह संबंध के आधार पर उसे ससुर की घर–जायदाद का कोई हिस्सा नहीं मिल सकता

कानून के मुताबिक, किसी व्यक्ति की संपत्ति पर सबसे पहला अधिकार उसकी संतान यानी बेटा या बेटी को होता है। अगर बेटी को उसके पिता (ससुर) से संपत्ति का हिस्सा मिला है, तो वह उसकी व्यक्तिगत संपत्ति होगी। दामाद केवल अपनी पत्नी के जरिए, और वो भी कुछ खास परिस्थितियों में ही, उस संपत्ति से जुड़ सकता है। स्वयं दामाद ससुर की संपत्ति में हकदार नहीं बन जाता

हाईकोर्ट में हालिया एक मामले में दामाद ने दावा किया था कि उसे अपने ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए क्योंकि उसने उनकी इकलौती बेटी से शादी की है। लेकिन कोर्ट ने यह दलील खारिज करते हुए साफ कर दिया कि शादी के रिश्ते से ऐसा कोई अधिकार नहीं बन जाता। संपत्ति का स्वामित्व उत्तराधिकार कानून के तहत ही चलता है

संपत्ति पर हक देने का प्रावधान और कानून

भारतीय उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Act, 1956) के अनुसार, संपत्ति का बंटवारा मृतक की संतान—बेटा, बेटी, पत्नी और माता के बीच होता है। दामाद का नाम उस सूची में नहीं आता है। यदि ससुर अपनी इच्छा से संपत्ति दामाद को देना चाहें, तो वे वसीयत या गिफ्ट डीड बनाकर ऐसा कर सकते हैं। इसके अलावा, मुस्लिम कानून के तहत केवल 33% संपत्ति ही दामाद को दी जा सकती है

अगर ससुर की मृत्यु के बाद पत्नी को उसका हिस्सा मिलता है, और फिर पत्नी की भी मृत्यु हो जाती है, तो दामाद उस संपत्ति के उत्तराधिकारी बन सकते हैं, बशर्ते उनके बच्चे न हों। लेकिन जब पत्नी जीवित है, तब दामाद का उस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं बनता है

निचली अदालतों और हाईकोर्ट, दोनों ने साफ किया है कि दामाद तभी किसी संपत्ति का दावा कर सकता है, जब वैध दस्तावेजों के जरिए ससुर ने अपनी संपत्ति दामाद के नाम ट्रांसफर की हो, या कानूनन वसीयत में उसका नाम दर्ज हो

मुद्दादामाद का अधिकार
शादी के नातेकोई अधिकार नहीं
ससुर की वसीयत या गिफ्टदामाद को हक मिल सकता है
पत्नी की संपत्तिसीमित हालात में, पत्नी की मृत्यु के बाद (बच्चे न हों)

सरकार या विशेष योजना

यह कोई सरकारी योजना नहीं है, बल्कि उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार देने वाली भारतीय कानूनी व्यवस्था का हिस्सा है। इसके पीछे उद्देश्य परिवार में अनुशासन, स्पष्टता और महिला अधिकारों की रक्षा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि दामाद को कोई स्वतः अधिकार नहीं मिलेगा, वे तभी संपत्ति के अधिकारी होंगे जब ससुर खुद विधिवत दस्तावेजों के माध्यम से संपत्ति स्थानांतरित करें या वसीयत करें।

संक्षिप्त जानकारी

हाईकोर्ट के हालिया फैसले के मुताबिक दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई सीधा कानूनी अधिकार नहीं होता। वे केवल वसीयत या गिफ्ट के जरिए ही संपत्ति के अधिकारी बन सकते हैं। यह साफ-सुथरी व्यवस्था भविष्य के संपत्ति विवादों को रोक सकती है

Leave a comment

Join Whatsapp